कोरोना विश्व के सामने एक चुनौती
इंसानों के सामने पहले भी खतरे आये है और आते ही रहे है....हमने वह दौर भी देखा है जब प्लेग,हैजा,कॉलरा जैसे रोगों ने लाखों की आबादी को खत्म कर डाला,हमने नाभिकीय हमलों में भी मानवता को दम तोड़ते देखा है...हमने देखा है सुनामी में इंसानों के आंसुओं को बहते हुए।
पर इस बार कोरोना वायरस के रूप में आई आपदा सबसे अलग है....इसने इंसानी दुनिया के आज के नियमो,मूल्यों,संस्थाओं और तौर तरीकों को सवालो के घेरे में खड़ा कर दिया है।मैं इसे इंसानी सभ्यता के लिए आई ओपनिंग इवेंट के रूप में देखता हूं और हमे इससे कुछ बड़े सबक सीखने होंगे।
1.हमे समझना होगा कि मनुष्य की प्रकृति पर दम्भभरी जीत और नियंत्रण की भावना भ्रममात्र है। और जब हम यह कहते है सेव द प्लेनेट,तो भी यही भाव आता है कि हमी तो इस ग्रह को बचाएंगे,जबकि ग्रह पहले से है इंसान तो बाद में आये है।इसलिए हमें यह समझना होगा की प्रकृति के साथ ही इंसान बेहतरी कर सकता है उसके खिलाफ नही।चीन में जिस तरह जिंदा और हर तरह के जानवरों को आहार के रूप इस्तेमाल किया जा रहा है,उससे इंसान उस पतली रेखा को पार करता दिखाई दे रहा है,जो अब तक पशु और मानव समाज मे प्राकृतिक सन्तुलन निर्मित करता था।
2.पहली बार इस आपदा ने हमे राष्ट्र की सीमाओं से बाहर निकलने के लिये मजबूर कर दिया है। अगर हम देश के बजाय प्लेनेट यानी पृथ्वी के सदस्य के रूप में इस आपदा के खिलाफ मिलकर खड़े होते तो क्या इसकी भयावहता बढ़ पाती।तो आखिर क्यों एक मानवीय संकट को भी राष्ट्रीय हितों से ही जोड़कर देखा जा रहा है।
३ .ऐसी वैश्विक आपदा से लड़ने की हमारी तैयारी भी एक्सपोज हुई है।चाहे वह चीन हो या अमेरिका, इटली हो या जर्मनी सबकी कमजोरी सामने आई है।अभी तो इस बीमारी में मृत्यु दर अपेक्षाकृत कम है,पर सोचिए यदि मोर्टलेटी रेट ज्यादा होती तो यह आपदा इंसानों को कहा ले जाती।
4 .निजी क्षेत्र आज संसाधनों के बड़े हिस्से पर नियंत्रण रखता है,इसलिए बिना इसकी मदद के ऐसी आपदाओं से सरकार लड़ नही सकती।अच्छी बात यह रही कि भारत सहित कई देशों के उद्यमियों ने सरकार को बड़े स्तर पर दान किया है।पर यह भी सभी पूंजीपतियों के स्तर पर नही देखा गया और कुछ तो भारी आलोचना के बाद मदद के लिए सामने आए।वही दान कई स्तरों पर दिखावे के रुप में भी दिखा।
5 .क्या आपदा के दौरान केवल सरकार कटघरे में खड़ी होंगी?क्योंकि इस आपदा के दौरान अंधविश्वास का बाजार भी गर्म दिखा और नागरिक लापरवाही भी।
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